छत्तीसगढ़

किसानों से समर्थन पाने राजनीतिक दलों में घमासान,कांग्रेस नेता अंकित गौरहा ने पीएम मोदी को किसान विरोधी बताया

भारतीय जानता पार्टी के विधायकों को शर्म नहीं,15 साल तक किसानों को ठगा और अब बयानबाजी कर समर्थन मूल्य पर कर रहें हैं खोखली राजनीति..

केंद्र सरकार के द्वारा धान के समर्थन मूल्य में ₹143 की वृद्धि छत्तीसगढ़ के किसानों के भावनाओं के साथ खेलवाड़

बेलतरा -:- केन्द्र सरकार ने किसानों को चुनावी वर्ष में प्रलोभन देने के लिए धान के प्रति क्विंटल पर ₹143 के समर्थन मूल्य की वृद्धि की है और इसे भाजपा नेता केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि बताकर मोदी और केंद्र सरकार का महिमामंडन करने में लगे हैं वहीं छत्तीसगढ़ के किसान और ग्रामीण केंद्र सरकार के इस बचकानी हरकत से हताश और निराश है।

इस विषय पर जिला पंचायत सभापति और क्षेत्र के प्रतिष्ठित की किसान अंकित गौरहा ने चर्चा के दौरान बताया कि भारतीय जनता पार्टी के तथाकथित नेता जनता का विश्वास और अपना अस्तित्व दोनों खो चुके हैं और अनर्गल बयानबाजी कर किसानों को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। शायद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को इस बात का ज्ञान नहीं है कि पूरे भारत देश में धान का समर्थन मूल्य छत्तीसगढ़ प्रदेश में सबसे अधिक है और इसका पूरा श्रेय छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और प्रदेश के किसान नेता भूपेश बघेल जी को जाता है। जिन्होंने केंद्र सरकार के दबाव के बावजूद राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से प्रति एकड़ किसानों को 10,000 की प्रोत्साहन राशि देकर धान के कटोरा कहे जानें वाले छत्तीसगढ़ के प्रदेश के किसानों के सम्मान और अभिमान को सुरक्षित रहा।

56 इंच सीने वाले मोदी जी किसानों के हित लिए फिसड्डी साबित हुए

किसानों की आय दोगुनी करने की बात करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी उन्होंने किसानों को ठगा सबसे पहले तो किसान विरोधी तीन काले कानून ले आए थे जिन्हें किसानों के कड़े रुख के कारण सालों के आंदोलन के बाद उसे केंद्र सरकार को मजबूरन वापस लेना पड़ा और चुनावी वर्ष में समर्थन मूल्य बढ़ाने के नाम पर ₹143 की बढ़ोतरी,छत्तीसगढ़ के किसानों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। आज जब डीजल,बिजली,मजदूर,खाद के साथ ही कृषि कार्य में उपयोग होने वाले अन्य सभी संसाधनों की कीमत दुगनी से भी ऊपर हो चुकी है ऐसे विपरीत समय में भी केंद्र सरकार का यह निर्णय हास्यप्रद है इस पर इन्हें पुनः विचार करना चाहिए और किसानों के हित में निर्णय लेना चहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button